आग से मुकाबला
- connect2783
- Jan 15, 2024
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Updated: Jul 17
शिमला, विशाखापत्तनम और शिलांग जैसे शहरों में आग लगने की घटनाओं ने ये दिखाया है कि कई शहरी केंद्र आग जैसी आपदाओं के लिए कितने असमर्थ हैं। कुछ शहरों ने सुरक्षा उपायों को सशक्त किया है, लेकिन कई जगहें पुराने कानूनों, अग्निशमन गाड़ियों की कमी और जोखिम भरे भवनों की समस्या से जूझ रही हैं। जैसे-जैसे शहर फैलते जा रहे हैं, क्या छोटे शहर अगली बार आग लगने से पहले तैयारियों की संस्कृति को मजबूत कर पाएंगे?

छोटे शहरों में आग की बढ़ती घटनाओं ने इससे निपटने के तैयारियों की जरूरतों को उजागर किया है! पिछले साल अप्रैल में शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में आग लगने की वजह से 250 लोगों को ओपीडी विंग (आउट पेशेंट विभाग) से आनन-फानन में बाहर निकालना पड़ा था।
हिमाचल प्रदेश की ज्यादातर इमारतों में अग्नि सुरक्षा एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) नहीं है क्योंकि हिमाचल प्रदेश अग्निशमन सेवा अधिनियम 1984 को लागू करने के नियम अभी भी स्वीकृत नहीं हैं। इसी तरह विशाखापत्तनम में 47 साल पुराने मछली पकड़ने के बंदरगाह से यह बात सामने आई कि नवंबर में आग लगने की घटना के समय पर्याप्त अग्निशमन सुविधाएँ उपलब्ध नहीं थी और न ही परिसर में दमकल गाड़ियाँ थी।
दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर में आग लगने की घटना से सबक लेते हुए सुरक्षा के तौर पर प्रयागराज के कई कोचिंग सेंटरों की जांच की गई जिसमें सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन न करने का खुलासा हुआ।
शिलांग के पुलिस बाजार में भीषण आग लगने की घटना के बाद राज्य की अग्निशमन सेवाओं को बढ़ाने के लिए 44 करोड़ रुपये का प्रस्ताव पारित किया गया। शहर के अनियोजित विकास और संकरी गलियों के कारण छोटे फायर टेंडर वाहनों की जरूरत भी सामने आई।
कुछ शहरों ने पहले ही अग्नि सुरक्षा नीतियाँ अपना ली हैं जिसके कारण बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं।इसी तरह सितंबर में नगरोटा के एनसीसी कैंपिंग ग्राउंड में सुरक्षा जागरूकता अभियान चलाया गया। जम्मू-कश्मीर में इस तरह के लगभग 28,000 अग्नि जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए और परिणामस्वरूप साल 2023 में आग लगने की घटनाओं में 31% की कमी आई।


इसी तरह नए साल के दौरान कोड़िकोड के अग्निशमन एवं बचाव सेवा विभाग ने अपनी निगरानी बढ़ा दी थी। सार्वजनिक स्थानों पर पटाखों के उपयोग की सख्त निगरानी ने तुरंत प्रतिक्रिया और बचाव इकाइयों के लिए आसान पहुँच सुनिश्चित की। वडोदरा में फायरप्लेक्स-अग्निसंकुल का उद्घाटन किया गया है जो एक अग्नि सुरक्षा सुविधा है और पेशेवरों को बड़े पैमाने पर ट्रेनिंग देने में सक्षम है।
STEP 1: PREVENT | STEP 2: PREPARE | STEP 3: FIGHT | STEP 4: ESCAPE |
एलपीजी सिलेंडर की एक्सपायरी/लीकेज की जांच करें सिलेंडर-स्टोव पाइप क्षतिग्रस्त होने पर उसे बदलें खाना बनाते समय ढीले कपड़े पहनने से बचें | घर/भवन की आपातकालीन योजना तैयार करें बाहर निकलने के रास्तों से खुद को परिचित करें, बाहर निकलने के रास्ते साफ रखें और दरवाज़े या गलियारे बंद करने से बचें घर पर एक छोटा-सा बुझाने वाला यंत्र रखें | अगर फायर-अलार्म मौजूद है तो उसे सक्रिय करें अगर आपको आग बुझाने वाले यंत्रों का इस्तेमाल करना आता है तो उनका इस्तेमाल करें अगर पानी उपलब्ध है तो नली का इस्तेमाल करके पानी डालें | कपड़ों में आग लगने पर 'रुको, गिरो और लुढ़को' अगर बहुत ज़्यादा धुआँ हो तो अपनी नाक पर गीला कपड़ा रखें और ज़मीन के पास रेंगें बड़ों और बच्चों सहित अन्य लोगों की मदद करें, ताकि वे सुरक्षित निकल सकें आग लगने पर लिफ्ट का इस्तेमाल करने से बचें; सिर्फ़ सीढ़ियों का इस्तेमाल करें |
स्रोत: बियॉन्ड कार्लटन द्वारा व्यक्तियों के लिए चरण ‘अपार्टमेंट अग्नि सुरक्षा दिशानिर्देश’ | संध्या भट, सिटीजन मैटर्स
तेजी से हो रहे शहरीकरण के साथ छोटे शहरों के लिए भी अग्नि सुरक्षा के लिए रणनीतिक योजना बनाना महत्वपूर्ण हो जाता है। इस बीच स्थानीय नागरिक भी आपातकालीन स्थितियों में पहले प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जागरूकता, अग्नि अभ्यास में सक्रिय रूप से भाग लेना, अग्नि- सुरक्षा मानदंडों के साथ घरों का निर्माण सुनिश्चित करना और खतरों की रिपोर्ट करना आदि तरीके अपनाकर समाज को आग से सुरक्षित बनाया जा सकता है।
क्या आपके शहर में आग लगने की कोई बड़ी घटना हुई है?
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