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गुस्साए हुए या सताये हुए वन्यजीव?

  • connect2783
  • Feb 29, 2024
  • 2 min read

Updated: Jul 17

जब जंगल सिकुड़ते हैं और शहर फैलते हैं तो क्या होता है? देहरादून में रात्री गश्त से लेकर कोयंबटूर में एआई निगरानी तक, भारत के छोटे-छोटे शहर अब मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं से निपट रहे हैं। हाथी, तेंदुए, बंदर और अन्य वन्यजीव शहरी क्षेत्रों के करीब आने लगे हैं, जिससे समुदाय सतर्कता और सहअस्तित्व के बीच फंसे हुए हैं। जहां कुछ शहर तकनीक और बाड़ों का सहारा लेते हैं, वहीं कुछ समुदाय जागरूकता बढ़ाकर संतुलन बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं।


स्रोत : जॉर्ज नैटटो, द हिन्दू
स्रोत : जॉर्ज नैटटो, द हिन्दू

नीलगिरी के जंगलों के पास शहर के कूड़े-कचरों के ढेर से आकर्षित होकर भोजन की तलाश में कई वन्यजीव आ जाते हैं, जिससे इस पर्वत पर बसे कोटागिरी हिल स्टेशन के निवासियों का कई बार इनसे आमना-सामना होता है। अक्टूबर 2023 में सिंदेवाहि के पास करंट लगने के कारण एक हाथी की मौत हो गई। पिछले 100 साल के इतिहास में महाराष्ट्र में घटित यह पहली घटना थी। प्रमुख वन संरक्षक डॉ० रामगांवकर बताते हैं कि इस घटना के पहले से ही गढ़चिरौली जिले में जंगली हाथियों की संख्या कम हो रही है और यह इस बात का सूचक है कि किस तरह उन्हें उनके प्राकृतिक आवास से बाहर कर दिया गया है। बढ़ते शहरीकरण, कृषि विस्तार, वन को नष्ट करने और जलवायु-परिवर्तन मानव-पशु के बीच बढ़ते संघर्ष और विवाद के कारण हैं। 


बढ़ती शहरीकरण, कृषि विस्तार, वन क्षरण और जलवायु परिवर्तन ने मानव-जानवर संघर्षों में वृद्धि की है।

जम्मू के शिवालिक तलहटी में बंदरों के खतरे के कारण यहाँ के किसान दूसरे काम की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं या फिर गैर-पारंपरिक फसलें उगाने के लिए मजबूर हैं। इस बीच देहरादून में तेंदुओं के बढ़ते हमलों के कारण राज्य प्रशासन ने वन विभाग के अधिकारियों को रात में गश्त करने का आदेश दिया है। पश्चिम बंगाल वन विभाग हाथियों के एनकाउंटर को रोकने के लिए 12 किलोमीटर लंबी विद्युत बाड़ लगा रहा है पर नतीजतन नगरपालिका सीमा के भीतर ही 5 हाथियों की मौत हो गई।


ऐसी ही दुर्घटनाओं से बचने के लिए कोयम्बटूर में रेलवे ट्रैक पर हाथियों की मौजूदगी को ट्रैक करने के लिए एआई-आधारित निगरानी प्रणाली का उपयोग किया गया है। इसी तरह गढ़चिरौली में मानव-पशु विवाद को कम करने के लिए ड्रोन और थर्मल कैमरे लगाए गये हैं। हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी का कम और नियंत्रित उपयोग करना ही बेहतर है क्योंकि इस तरह दुर्लभ वन्यजीवों की संवेदनशील जानकारी के लीक होने का खतरा बढ़ जाता है और उनके अवैध शिकार होने की आशंका बढ़ जाती है।



जुलाई 2023 में सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व तलावडी फॉरेस्ट रेंज ने मानव-पशु विवाद को रोकने के लिए शहर में एक रैली का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया। इस बीच वायनाड के अधिकारियों ने हाथियों के मुठभेड़ से बचने और सचेत रहने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। स्थानीय निवासियों को जंगली जानवरों के आक्रमण की चेतावनी देने के लिए वे सामुदायिक रेडियो, माइक्रोफोन से घोषणा और व्हाट्सएप ग्रुप आदि का उपयोग भी करते हैं। इसके साथ ही इन्होंने लोगों की सुरक्षा के लिए एक निगरानी समिति (पीपल मॉनिटरिंग कमिटि) बनाने की भी पहल की है।


क्या आपके शहर में कभी मानव-पशु विवाद हुआ है?

आपके शहर में ऐसी घटनाओं से कैसे निपटा जाता है?

स्रोत : छंदरसेखार दास, मोंगाबे
स्रोत : छंदरसेखार दास, मोंगाबे

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