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काम पर (लेकिन बेड़ियाँ तोड़कर)

  • connect2783
  • Feb 29, 2024
  • 4 min read

Updated: Jul 17

भारत के छोटे शहरों की महिलाएं परंपराओं को चुनौती दे रही हैं और व्यवसाय, तकनीक, और गिग इकोनॉमी जैसे नए और असामान्य क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही हैं। करियर प्लेटफॉर्म और नीतियां उनके लिए नए अवसर खोल रही हैं, लेकिन क्या ये बाधाओं को पार करने के लिए काफी हैं? महिलाओं के उद्यमी और पेशेवर के रूप में बढ़ते कदम कार्यबल को नया आकार दे रहे हैं, लेकिन उनके सतत विकास और समावेशन के लिए क्या जरूरी है?


स्रोत: इंडिया ब्रीफिंग
स्रोत: इंडिया ब्रीफिंग

हापुड़ की रहने वाली सपना शर्मा अपने परिवार की पहली डिग्री धारक हैं जिन्होंने एक पारंपरिक भारतीय मिठाई पेठा को बेचकर अपनी उद्यमशीलता का परिचय दिया। भारत के कई छोटे शहरों में सपना शर्मा जैसी ही दूसरी महिलाओं की देख-रेख में चलने वाले व्यवसाय बड़े पैमाने पर मेराबिज़नेट पोर्टल का उपयोग कर रहे हैं ताकि उन्हें इस क्षेत्र में अच्छी मार्गदर्शन और ट्रेनिंग मिल सके। साल 2023 में लॉन्च किये गए इस पोर्टल ने ट्रांसयूनियन सिबिल लिमिटेड (सीआईबीआईएल,एक भारतीय क्रेडिट सूचना कंपनी) और जर्मन सरकार के साथ भी साझेदारी की है जिससे कामकाजी महिलाओं को सहायता मिल सके।


करियर इंगेजमेंट प्लेटफॉर्म, हरकी (HerKey) ने 2021 की पहली तिमाही में अपने काम को वापस जॉइन करने की इच्छा रखने वाली महिला पेशेवरों के पंजीकरण में साल-दर-साल 58% की बढ़त दर्ज की थी, जिसमें टियर-2 और 3 शहरों से होने वाले पंजीकरण में 65% की बढ़ोतरी देखी गई। छोटे शहरों की महिलाओं में इस तरह का रुझान भारत के कार्यबल में उनकी मौजूदगी को दर्शाता है।


पेशेवर नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म ‘अपना’ के मुताबिक अब महिलाएं हर क्षेत्र में शामिल हो रही हैं। 2022 में डिलीवरी, लैब टेक्नीशियन, फैक्ट्री कर्मचारी और ड्राइवर जैसे काम जिनमें अधिक श्रम की आवश्यकता होती है, ऐसे कामों में महिला आवेदकों की संख्या में 34% की बढ़त हुई है। इसी तरह लैंगिक भूमिका की चलती आ रही परंपरा को चुनौती देते हुए चेनाब घाटी के भद्रवाह की मीनाक्षी देवी अपने शहर की पहली ई-रिक्शा चालक बनीं। आर्थिक संकट और पति की बीमारी से जूझते हुए अपने परिवार की आजीविका चलाने के लिए इन्होंने एक गैर-पारंपरिक पेशे को अपनाया और समाज के विरोधों का भी सामना किया।


स्रोत : प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया
स्रोत : प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया
2022 में, डिलीवरी, लैब तकनीशियन, फैक्ट्री वर्कर और ड्राइवर जैसे श्रम-केंद्रित पदों के लिए महिला आवेदकों में 34% की वृद्धि देखी गई।

इस एआई तकनीक (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कृत्रिम बुद्धि) के युग में महिलाएं भी समय के साथ आगे बढ़ रही हैं। नेक्स्टवेल्थ इस क्षेत्र की एक प्रमुख कंपनी है जिसके केंद्र मल्लसमुद्रम, चित्तूर, हुबली, भिलाई, मैसूर, वेल्लोर, पुदुचेरी, सेलम, जयपुर और उदयपुर जैसे शहरों में स्थापित हैं। नेक्स्टवेल्थ ने लगभग 5,000 लोगों को रोजगार दिया है, जिनमें से तकरीबन 60% महिलाएं हैं। डेटा लेबलिंग और एनोटेशन जैसे कामों में महत्वपूर्ण योगदान देते हुए महिलाएं इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं।


देश के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में बदलाव छोटे शहरों की महिलाओं के लिए कई कारणों से मददगार साबित हुए हैं जैसे कि कोविड-19 के बाद लचीले काम के विकल्पों का बढ़ता चलन, सहायक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की शुरुआत, ट्रेनिंग प्रोग्राम और सेंसिटाईजेशन पहल और टेक्नोलॉजी-संचालित क्षेत्रों का आगमन। जबकि देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इस तरह के तकनीकी विकास और कार्यस्थल बहुत महत्वपूर्ण रहे हैं। भारत में महिलाओं के लिए शीर्ष शहर (टॉप सिटीज फ़ॉर वीमेन इन इंडिया, टीसीडब्ल्यूआई) सूचकांक शहर और राज्य प्राधिकरणों द्वारा महिलाओं के निरंतर रोजगार के अवसर के लिए किए गए निवेश की भूमिका को बताता है।


स्रोत : ट्रायस, मिंट
स्रोत : ट्रायस, मिंट

टीसीडब्ल्यूआई के दूसरे संस्करण ने महिलाओं की समावेशिता के तीन मापदंडों के आधार पर शहरों की रैंकिंग की: सामाजिक समावेश, कार्यस्थल समावेश और नागरिक अनुभव। इस रैंकिंग में 10 लाख से कम आबादी वाले 10 प्रमुख शहरों में से 8 दक्षिण भारत के थे, जिनमें तिरुचिरापल्ली, वेल्लोर, कोच्चि, तिरुवनंतपुरम, सेलम, इरोड, तिरुपुर और पुडुचेरी शामिल है। ऐतिहासिक और सामाजिक कारकों के साथ-साथ प्रभावी सरकारी नीतियों ने भी इन शहरों के लिंग-प्रगतिशील वातावरण को बनाये रखने में योगदान दिया है। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीरियडिक लेबर फोर्स सर्वे), राष्ट्रीय जनगणना (नेशनल सेंसस) और अपराध के रिकॉर्ड के साथ-साथ अवतार ग्रुप्स प्राइमरी रिसर्च ऑन वीमेन एम्प्लॉयमेंट के डेटा का उपयोग कर टीसीडब्ल्यूआई सूचकांक के परिणाम सहायक शहरों में बुनियादी सुविधाओं के महत्व को उजागर करते हैं ताकि महिलाओं के स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, बच्चे और उनकी यात्रा उनके कार्यबल को बाधित न करे।


आजकल कॉन्ट्रैक्चुअल वर्क के जमाने में अर्बन कंपनी (यूसी) जो एक होम सर्विस प्लेटफॉर्म है, भारत के ऑनलाइन गिग-इकोनॉमी में महिलाओं को रोजगार देने वाली सबसे बड़ी कंपनी बन गई है। लगभग एक तिहाई महिलाएँ यूसी के कॉन्ट्रैक्ट कार्यबल का हिस्सा हैं, यह उनके वित्तीय स्वतंत्रता और सामाजिक गतिशीलता को दर्शाता है। रेस्ट ऑफ वर्ल्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक अंबाला की निशी ढिल्लन जैसी महिलाओं को इस तरह दमनकारी, जाति आधारित काम से दूर जाने का एक अवसर मिला। हालांकि यूसी के कार्य स्थितियों के खिलाफ विरोध के कई उदाहरण भी हैं जिसमें कॉन्ट्रैक्चुअल वर्कर्स ने काम के घण्टों और कथित रूप से गलत व्यवहार का सामना करने पर चिंता जताई है।

स्रोत : द वायर
स्रोत : द वायर

गिग-वर्क के मुकाबले एमएसएमई में महिलाओं की भागीदारी काफी कम है। भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट (बीवाईएसटी) द्वारा किए गए एक सर्वे में यह पाया गया कि 85% महिला उद्यमियों को राष्ट्रीयकृत बैंकों से लोन लेने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वित्त तक सीमित पहुंच, संपत्ति का स्वामित्व और गिरवी रखने योग्य संपत्ति की कमी जैसी चुनौतियों ने महिलाओं की भागीदारी को बाधित किया है और इसे दूर करने के लिए ऐसी नीतियां आवश्यक हो जाती हैं जो लैंगिक भेदभाव न करे। वित्तीय साक्षरता की ट्रेनिंग, नेतृत्व और सुपरवाइजर के रूप में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना, कार्य-एकीकृत शिक्षा कार्यक्रम को लागू करना और सहायक बुनियादी सुविधाओं को तैयार करना: ये सकारात्मक कदम समावेशी कार्यबल को बढ़ावा देने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण हैं।


क्या आपके शहर में लिंग-समावेशी कार्यबल है? आपकी समझ से महिलाओं की कार्य भागीदारी को बेहतर बनाने के आपका शहर क्या उपाय कर सकता है?


स्रोत : अपना न्यूज
स्रोत : अपना न्यूज



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