इलेक्ट्रिक वाहनों की लहर
- connect2783
- Jan 31, 2024
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Updated: Jul 17
ई-रिक्शा छोटे शहरों जैसे दरभंगा और माथेरन में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं और पर्यावरण के अनुकूल सफर के विकल्प पेश कर रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही कई चुनौतियां भी सामने आ रही हैं। सुरक्षा के मसले, नियमों की कमी और स्थानीय विरोध इस हरित परिवहन क्रांति की जटिलताओं को दर्शाते हैं। आखिरी मील की कनेक्टिविटी की बढ़ती मांग के बीच, क्या ई-रिक्शा वाकई टिकाऊ और भरोसेमंद शहरी यात्रा का वादा पूरा कर पाएंगे?

क्या आप जानते हैं कि दरभंगा में हर महीने 200 ई-रिक्शा की बिक्री होती है? बालाजी मोटर्स के मुताबिक इस शहर के सीएनजी रिक्शा चालक अब इलेक्ट्रिक मॉडल अपनाने लगे हैं। ग्रामीण विद्युतीकरण में सुधार, छोटे बैंक के लोन तक पहुंच और बैटरी चार्जिंग पर सरकारी छूट के कारण टियर-3 और 4 शहरों में भी इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की मांग में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और महाराष्ट्र में ईवी की संख्या में सफलतापूर्वक वृद्धि हुई है, जिसमें उड़ीसा भी पीछे नहीं है।

25 सितंबर 2023 को, आईआईटी भुवनेश्वर ने आधिकारिक तौर पर अपने ऑन-कैंपस ई-रिक्शा सेवाओं को हरी झंडी दिखाई। मेसर्स श्री नीलमधाबा टूर्स एंड ट्रैवल्स के साथ साझेदारी करते हुए, आईआईटी भुवनेश्वर का उद्देश्य कैंपस समुदाय के लिए पर्यावरण के अनुकूल, समावेशी और सुलभ परिवहन विकल्प प्रदान करना है। राष्ट्रव्यापी 'स्वच्छता ही सेवा' कार्यक्रम और मिशन लाइफ अभियान का हिस्सा, यह सेवा 'शून्य उत्सर्जन परिसर' बनाने का इरादा रखती है।
महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड ने स्वरोजगार मुहैया कराने वाली कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) परियोजना "सक्षम" के तहत 50 विकलांग लोगों को ई-रिक्शा देने के लिए संबलपुर प्रशासन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया। देश भर में चलने वाले "स्वच्छता ही सेवा" कार्यक्रम और मिशन लाइफ अभियान के तहत आईआईटी भुवनेश्वर ने शून्य-उत्सर्जन परिसर (जीरो-एमिशन कैम्पस) ई-रिक्शा की सेवा शुरू की है।
सतत विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा समझे जाने वाले ई-रिक्शा को अपर्याप्त नियंत्रण की वजह से कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जहाँ गुवाहाटी ई-रिक्शा के गैर-कानूनी संचालन के कारण यातायात की परेशानियों से जूझ रहा है वहीं दिल्ली में तकरीबन 1 लाख ई-रिक्शा अब भी पुराने और असुरक्षित लेड-एसिड बैटरी पर चल रहे हैं।
एक पुलिस सर्वेक्षण में यह बात निकलकर सामने आई कि गाजियाबाद में लगभग 80% ई-रिक्शा अवैध रूप से पकड़े गए जिनके पास गुणवत्ता जाँच और पंजीकरण की कोई जानकारी नहीं थी। आजकल ओवरलोडिंग, चोरी और दुर्घटनाओं के मामलों ने भी सुरक्षा संबंधी परेशानियों में इजाफा किया है।

भारत के इकलौते “केवल पैदल चलने वाले” और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील हिल स्टेशन माथेरान ने हाल ही में ई-रिक्शा को अपनाया है।
स्थानीय निवासियों ने इस सुविधा का दिल खोलकर स्वागत किया जबकि कुछ लोग हाथ-रिक्शा चालक और घोड़ा मालिकों की पारंपरिक आजीविका पर पड़ने वाले प्रभाव से चिंतित हैं। अगरतला के त्रिपुरा इलेक्ट्रिक रिक्शा श्रमिक संघ ने प्रमुख सड़कों तक उनकी पहुंच पर अचानक रोक लगाने के खिलाफ जोरदार विरोध किया। संघ ने ड्राइवरों की दैनिक आय को प्रभाव किये बिना समाधान की मांग की।
जैसे-जैसे चार्जिंग की लागत कम हुई है, कुशल तकनीक का विकास भी इसी तेजी से हुआ है। ईवी की लोकप्रियता दिन-पर-दिन बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि ये किफायती हैं और दूर-दराज के क्षेत्रों में भी कनेक्टिविटी के लिए सुविधाजनक हैं। नतीजतन ई-रिक्शा को शामिल करने वाली गतिशील योजनाओं की मांग में भी बढ़ोतरी हो रही है।
क्या आपके शहर की सड़कों पर ई-रिक्शा चल रहे हैं?
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