सिक्कों से लेकर QR कोड तक
- connect2783
- Dec 3, 2023
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Updated: Jul 18
चाय की दुकानों से लेकर बुलढाना की बसों तक, यूपीआई छोटे शहरों में लेन-देन करने के तरीके को पूरी तरह बदल रहा है। जैसे-जैसे डिजिटल पेमेंट्स मेट्रो शहरों से बाहर भी तेजी से बढ़ रहे हैं, वहां सफलता की कहानियों के साथ साइबर क्राइम और फंसे हुए अकाउंट्स की चिंता भी सामने आ रही है। यूपीआई से लेन-देन आसान और सुलभ हुआ है, लेकिन डिजिटल सुरक्षा और जागरूकता के सवाल भी उठ रहे हैं। भारत के इन छोटे-छोटे शहरों की रोज़मर्रा की अर्थव्यवस्था के लिए ये डिजिटल बदलाव क्या मायने रखते हैं?

साल 2016 में भारत में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लॉन्च किया गया जो देश में निर्मित है और इसने देश के वित्तीय परिदृश्य पर एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। यूपीआई वैसे लोगों के लिए एक सुलभ और सरल माध्यम मुहैया कराता है जो पहली बार औपचारिक वित्तीय प्रणाली में प्रवेश करते हैं क्योंकि यह भाषाई दिक्कतों और बैंक की जटिल प्रक्रियाओं से छुटकारा दिलाता है। चाय की दुकानों से लेकर जेवर-आभूषण के व्यवसायों तक के व्यापारियों ने लेन-देन को आसान बनाने के लिए यूपीआई का लाभ उठाया है।

पेटीएम ने अपने साउंडबॉक्स के साथ व्यापारियों के लिए डिजिटल भुगतान में क्रांति ला दी है जो पेटीएम क्यूआर कोड के माध्यम से किए गए लेनदेन के लिए तत्काल ऑडियो पुष्टि प्रदान करता है। इस डिवाइस को असाधारण रूप से अपनाया गया है, हर 6 सेकंड में एक व्यापारी द्वारा एक नया खरीदा जाता है! 2019 में पेश किया गया, साउंडबॉक्स व्यापारी की पसंदीदा भाषा में पुष्टि प्रदान करता है, जिससे धोखाधड़ी का जोखिम कम हो जाता है।
खास तौर पर टियर 2 और टियर 3 शहरों में डिजिटल बुनियादी सुविधाओं की बेहतर पहुंच, लास्ट माइल डिलीवरी में बढ़ोतरी और कोविड-19 के बाद ऑनलाइन व्यवसायों की बढ़ती हुई संख्या के कारण यूपीआई के उपयोग में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। गौरतलब है कि पेटीएम (एक लोकप्रिय भारतीय ई-वॉलेट) के लगभग दो तिहाई नए उपयोगकर्ता ऐसे शहरों से ही हैं।
एक तरफ भोजन और पेय पदार्थों के लिए यूपीआई से भुगतान करने में त्रिची सबसे आगे है तो वहीं अमृतसर स्वास्थ्य और सौंदर्य प्रसाधनों पर इस माध्यम से सबसे ज्यादा खर्च करने वाले शहर के रूप में सामने आया है। नागपुर अपने छोटे विक्रेताओं (माइक्रो-सेलर्स) और स्ट्रीट वेंडर्स पर पर्याप्त खर्च के लिए जाना जाता है, जबकि वेल्लोर के काटपाडी जंक्शन ने 2021 के मुकाबले डिजिटल भुगतान करने में तकरीबन 7 गुना बढ़ोतरी की है।
साल 2022 में महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) की बसों ने एंड्रॉयड-आधारित मशीनों के माध्यम से अकोला, बुलढाणा, भंडारा और लातूर में यात्रियों के लिए कैशलैस लेनदेन को मजबूत किया।
इसी तरह उत्तर पश्चिमी कर्नाटक सड़क परिवहन निगम ने इस साल यूपीआई को अपनाने की योजना बनाई है। इस योजना के पायलट प्रयोग के दौरान यह पाया गया कि हुबली में कई कंडक्टर कैशलेस लेन-देन के लिए फोन पे और गूगल पे से अलग-अलग क्यूआर कोड का इस्तेमाल कर रहे हैं। कांचीपुरम में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम, पीडीएस) की दुकानों में भी यूपीआई से भुगतान की शुरुआत की गई है। अब राशन कार्ड धारक यूपीआई के माध्यम से भुगतान कर सकते हैं।


हालांकि केरल उच्च न्यायालय ने अपनी चिंता जाहिर की और साइबर अपराध और यूपीआई के माध्यम से अवैध धन की आवाजाही से लड़ने के लिए सुरक्षा उपाय की जरूरतों को उजागर किया। अधिकारियों ने वैसे व्यापारियों के बैंक खाते को फ्रिज कर दिया है जो यूपीआई का फायदा उठाने वाले साइबर अपराधियों से प्रभावित थे और इस वजह से उनका व्यवसाय भी प्रभावित हो रहा था। जैसे-जैसे यूपीआई छोटे शहरों में अपने पांव पसार रहा है, सुरक्षा संबंधी चिंता और सुरक्षित उपयोग के बारे में जागरूक होना बहुत जरूरी हो गया है।
क्या आपके शहर में ऐसी कोई पहल है जिसने यूपीआई के उपयोग को बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है?
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