सड़क पर (डिजिटल) नजर
- connect2783
- Nov 24, 2023
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Updated: Jul 18
हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरे अब सिर्फ बड़े शहरों की खासियत नहीं रहे — ये अब मेलविशारम में ट्रैफिक पर नज़र रख रहे हैं और कोयंबटूर के पास जंगली जानवरों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। ये सिस्टम बेहतर सुरक्षा और तेजी से जांच का वादा करते हैं, लेकिन इसके साथ ही कुछ सवाल भी खड़े करते हैं: क्या ये वाकई अपराध को कम कर रहे हैं? बढ़ती लागत और निजता की चिंताओं के बीच, भारत के शहरी इलाकों में निगरानी का बढ़ता दायरा सिर्फ बेहतर कैमरों से नहीं, बल्कि बेहतर जवाबदेही से जुड़ा हुआ है।

वेल्लूर जिले का मेलविशारम एक सड़क दुर्घटना प्रभावित क्षेत्र रहा है जो चेन्नई-बैंगलोर हाइवे पर स्थित है। इस कारण से अधिकारियों ने यहां पर सुरक्षा बढ़ाने, सड़क दुर्घटनाओं का विश्लेषण करने और आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे लगाए हैं।
यह भारत में प्रमुख महानगरों के बाहर "क्लोज़्ड-सर्किट टेलीविजन" (सीसीटीवी) निगरानी प्रणालियों के कई उपयोगों में से एक है।
एक अधिकारिता समूह कॉमन कॉज़ द्वारा "भारत में पुलिस व्यवस्था की स्थिति रिपोर्ट 2023" (स्टेटस ऑफ पुलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट) के मुताबिक 46% लोगों ने मध्यम और छोटे शहरों में निगरानी कवरेज पर ध्यान देने की बात कही।


कटक के स्थानीय लोगों ने शहर की पुलिस नियंत्रण प्रणाली के साथ एकीकृत करने के लिए स्वेच्छा से सीसीटीवी लगाए हैं। इसी तरह इंदौर के स्थानीय निवासी अपराध की जाँच में सहयोग करने के लिए सीसीटीवी फुटेज साझा करने के लिए सिटीजन कॉप ऐप का उपयोग कर रहे हैं। कोयंबटूर के वनों के किनारे के क्षेत्रों में मानव-पशु विवाद लगातार एक चिंता का विषय बना हुआ है। हाथियों के रास्तों की निगरानी करने के लिए एआई आधारित सीसीटीवी लगाया गया है ताकि ऐसे खतरों से निपटा जा सके।
इसी तरह यूपी में 'ऑपरेशन त्रिनेत्र' ने सीसीटीवी निगरानी की मदद से 295 अपराधों को सुलझाने में सफलता हासिल की। हालांकि द वायर (समाचार एवं खबरों की एक साइट) के मुताबिक जिन भारतीय शहरों में निगरानी की उच्च दर है वहाँ अपराध का दर कम होगा, ऐसा जरूरी नहीं है।
ज्यादा सीसीटीवी कैमरे होने के बाद भी चेन्नई का अपराध सूचकांक स्कोर 40.87 है जो कोच्चि के अपराध सूचकांक स्कोर(41.12) के समान ही है, जबकि कोच्चि में बहुत कम कैमरे हैं। सीसीटीवी सिस्टम के रखरखाव की लागत भी एक अलग चुनौती है। अहमदाबाद में सालाना परिचालन लागत औसतन 10 करोड़ रुपये है और अगर सिस्टम को अपग्रेड कर दिया जाए तो यह लागत दोगुनी हो सकती है। वहीं अहमदाबाद नगर निगम को 3 साल के रखरखाव के कॉन्ट्रैक्ट के लिए 53 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे।

अहमदाबाद, बैंगलोर, चेन्नई दिल्ली, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, मुंबई के शहरों में सीसीटीवी कैमरों की संख्या और अपराध सूचकांक के बीच सहसंबंध
निगरानी में तेजी से बढ़ोतरी और गोपनीयता के उल्लंघन का जोखिम भी चिंताजनक है। सार्वजनिक जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए जरूरी निश्चित निर्देशों और नियमों की कमी के कारण लोगों में असमंजस की स्थिति पैदा होती है और इसके द्वारा दुरुपयोग की संभावना भी बढ़ती है।
सीसीटीवी तक बढ़ती पहुंच के साथ डेटा सुरक्षा उल्लंघन और फुटेज की बिक्री जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं और लोग इसे कमाई का जरिया बना रहे हैं। इन सब कारणों से शहरों के लिए यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी हो जाता है कि व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन किये बिना सीसीटीवी की निगरानी केवल सार्वजनिक सुरक्षा के लिए उपयोग में लाई जाए।
क्या आपके शहर के स्थानीय प्रशासन ने सार्वजनिक जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं?
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