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अपने शहर से
यह रचना एक आत्मीय पत्र के रूप में लिखी गई है, जिसमें नायक अपने प्रिय को संबोधित करते हुए अपने छोटे से शहर श्रावस्ती के प्रति गहरी भावनाएँ प्रकट करता है। यह पत्र केवल प्रेम की बात नहीं करता, बल्कि उस माटी से जुड़ी स्मृतियों, संघर्षों और जिम्मेदारियों की भी बात करता है, जिसने नायक को साँस दी और जीने का अर्थ भी। बड़े शहर की चकाचौंध और कठिनाइयों के बीच नायक को अपने गाँव की सादगी, अपनापन और मानवीयता की याद सताती है।
वह चाहता है कि उसका प्रिय भी उसी शहर में आए, ताकि वे मिलकर उस नग
Oct 75 min read


My City, My Teacher
This year’s Youth Writing Contest brought together voices from 174 cities, each sharing how their city became a teacher in unexpected ways. Meet the winners and explore their stories.
Sep 52 min read


Are Small Cities Planning for Cars or People?
In India’s smaller cities, cars get the spotlight while pedestrians and cyclists fight for space. There exists glaring contradictions in India's urban mobility: from footpaths turned parking lots to sidelined e-rickshaws, despite most people relying on walking, cycling, or informal transport! As cities chase costly metro dreams, are we overlooking the modes that truly keep them moving?
Feb 198 min read


परिवहन का विरोधाभास
भारत के छोटे शहरों में गाड़ियों को खास तवज्जो मिलती है, जबकि पैदल चलने वालों और साइकिल चालकों को जगह के लिए संघर्ष करना पड़ता है। हमारे शहरी परिवहन में कई साफ-साफ विरोधाभास दिखते हैं — फुटपाथों को पार्किंग में बदल दिया गया है, ई-रिक्शा जैसे साधनों को नजरअंदाज किया जाता है, जबकि ज़्यादातर लोग चलकर, साइकिल से या अनौपचारिक साधनों से ही सफर करते हैं। शहर महंगे मेट्रो प्रोजेक्ट्स के पीछे भाग रहे हैं, लेकिन क्या हम उन साधनों को नजरअंदाज़ कर रहे हैं जो सच में शहरों को चलाते हैं?
Feb 1910 min read
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