भारत में रिंग रोड का विकास
- connect2783
- Jan 4, 2024
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Updated: Jul 17
रिंग रोड प्रोजेक्ट्स कनेक्टिविटी बढ़ाने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने की अहम रणनीति बनते जा रहे हैं। जैसे चेन्नई का आउटर रिंग रोड पास के सैटेलाइट टाउनशिप्स के विकास को प्रभावित कर रहा है। ये प्रोजेक्ट बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर का वादा करते हैं, लेकिन जमीन अधिग्रहण और पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर चिंता भी बढ़ा देते हैं। किसान विरोध कर रहे हैं और उनकी प्रभावशीलता पर बहस जारी है। ऐसे में, रिंग रोड प्रोजेक्ट्स भारत के शहरों के भविष्य को किस दिशा में ले जाएंगे?

भारत के छोटे शहरों में ट्रैफिक जाम को कम करने, कनेक्टिविटी बढ़ाने और विभिन्न कॉरिडोर के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए रिंग रोड के निर्माण को प्रमुखता मिल रही है। चेन्नई के आउटर रिंग रोड के प्रभाव से चेंगलपट्टू और तिरुमड़ीसई जैसे नए सैटेलाइट टाउनशिप के विकास को बढ़ावा मिला है।
कर्नाटक सरकार ने साल 2018 में अपने सभी जिला मुख्यालयों के लिए रिंग रोड की महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की। केंद्र सरकार के साथ हुए समझौते ने चार सालों के बाद रायचूर, कोप्पला, बेलगावी, गुलबर्गा और गडग के लिए रिंग रोड परियोजना को गति देने के साथ-साथ सड़क निर्माण सामग्री पर जीएसटी छूट भी दी। हालांकि इन शहरों के लिए रिंग रोड की वास्तविक आवश्यकता को निर्धारित करने के लिए पैसेंजर कार यूनिट (पीसीयू) अध्ययन किया गया था या नहीं, यह बात स्पष्ट नहीं हो पाई है।
भारतीय विज्ञान संस्था (आईआईएससी) के एसोसिएट प्रोफेसर आशीष वर्मा ने बैंगलोर शहर के अध्ययन और विश्लेषण पर एक शोधपत्र (रिसर्च पेपर) प्रस्तुत करते हुए कहा कि भीड़भाड़ को कम करने के लिए रोड कॉरिडोर और इनके चौड़ीकरण की परियोजनाएं के दूरगामी परिणाम प्रभावी नहीं हैं।
ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के किसानों को भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और बेलगावी रिंग रोड के खिलाफ विरोध प्रदर्शन इसका जीता जागता उदाहरण है। रिंग रोड विकास के लिए अधिसूचित की गई भूमि में कई किसानों की उपजाऊ भूमि को भी शामिल कर दिया गया है। इस तरह की परियोजनाओं के कारण किसानों की आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है।


हालांकि 2018 में इंफाल के नगर नियोजन विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ टाउन प्लानिंग) द्वारा कराए गए पीसीयू सर्वेक्षण में यह पाया गया कि शहर के 6 प्रमुख जंक्शन भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में शामिल हैं। भोपाल के योजना एवं वास्तुकला विद्यालय (स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, एसपीए) द्वारा साल 2019 में कराए गए यातायात सर्वेक्षण ने ग्रेटर इंफाल 2041 के मास्टर प्लान में अपना योगदान दिया। इसकी वजह से स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 32 किलोमीटर लंबी इंफाल रिंग रोड (आईआरआर) के प्रस्ताव को आगे बढ़ने में मदद मिली।
रिंग रोड का विकास देश भर में आर्थिक विकास और बेहतर कनेक्टिविटी की संभावना को बढ़ाने के साथ-साथ न केवल आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव बल्कि बल्कि भूमि अधिग्रहण जैसे मुद्दों को भी जन्म देता है। मौजूदा समय में इस तेजी से बदलते शहरी परिदृश्य को एक सहयोगी और साझेदारी नजरिये की जरूरत है, ताकि आम नागरिक सामुहिक रूप से सलाह-मशवरा करके विकास को और अधिक समावेशी और टिकाऊ बना सकें।
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