आगे बढ़ती साइकल
- connect2783
- Feb 27, 2024
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Updated: Jul 17
कोटा में कोचिंग छात्रों से लेकर कोच्चि की महिलाओं तक, भारत के छोटे शहरों में साइक्लिंग फिर से लोकप्रिय हो रही है। कुछ शहर साइकिल ट्रैकों के लिए जगह बना रहे हैं और सार्वजनिक साइकल सिस्टम का नवीनीकरण कर रहे हैं, जबकि अन्य जगहों पर अतिक्रमण और उपेक्षा की समस्या बनी हुई है। इस प्रगति और चुनौतियों के बीच, स्थानीय समुदाय स्वच्छ और सुरक्षित परिवहन के लिए बदलाव की पहल कर रहे हैं। आपका शहर इस सफर में कहां खड़ा है?

भारत की कोचिंग राजधानी कहे जाने वाले शहर कोटा में साइकिल चलाने की सुविधा और इसकी किफायती कीमत ने छात्रों को हर रोज साइकिल से यात्रा करने में सहुलियत प्रदान की है। इसने कोटा को देश का दूसरा सबसे बड़ा सेकंड हैंड बाजार बना दिया है। ब्लूमबर्ग इनिशिएटिव फॉर साइकिलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (बीआईसीआई), 2023 की ओर से चयनित भारतीय शहर पिंपडी-चिंचवाड़ ने साइकिलिंग के बुनियादी स्वरूप को ध्यान में रखते हुए 15 मिनट का एक शहर मॉडल (स्थानीय लोगों को 15 मिनट के भीतर अधिकांश सुविधाओं तक पहुंचने में सक्षम बनाना) शुरू किया है। इसके अलावा श्रीनगर की पब्लिक साइकिल शेयरिंग (पीबीएस) सर्विस ने चार्टर्ड बाइक के सहयोग की मदद से पिछले साल अक्टूबर तक 39,000 यात्रियों का पंजीकरण करवाया था।
डॉकिंग हब यानी कि साइकिल स्टेशन में साइकिल की अल्पकालिक सुविधा देकर पीबीएस ने एक इको-फ्रेंडली और किफायती विकल्प के रूप में उभरने का मन बनाया है। हालांकि भोपाल में प्रशासन की अनदेखी के कारण पीबीएस सेवा की स्थिति बदतर हो गई है। साइकिल भी खराब स्थिति में हैं और पार्क किये गए दूसरे वाहन साइकिल ट्रैक पर अपना कब्जा जमाए है। इसी तरह लॉन्च के पांच साल बाद भुवनेश्वर में बेकार पड़ी, धूल फाँकती मो बाइक को फिर से नया रूप देकर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के बीच बांटा गया। चंडीगढ़ में 200 किलोमीटर से भी ज्यादा साइकिल ट्रैक मौजूद होने के बावजूद अतिक्रमण, कम कनेक्टिविटी और अयोग्य डिजाइन ने इनकी उपयोगिता में अड़चन डाली है।

छोटे शहरों में साइकिलिंग का चलन बढ़ रहा है!
इन सबके बावजूद मैसूर में हुए तकनीकी सुधार के कारण "ट्रिन ट्रिन" उभरकर सामने आया जिसका उद्देश्य पैडल से चलने वाले साइकिल और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) लॉकिंग हब की मदद से पीबीएस में सुधार करना है। इसके साथ ही 8.72 किलोमीटर साइकिल ट्रैक बनाने की भी योजना है। वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) इंडिया के मुताबिक शहरों और महानगरों में साइकिलिंग को लोकप्रिय बनाने के लिए साइकिल चालकों की सुरक्षा और उपयोगकर्ताओं की सुविधा सुनिश्चित करना जरूरी है और यह शहरी अधिकारियों और बाइक ऑपरेटरों के सहयोग से ही संभव हो सकता है।
साइकिल चलाने में लोगों की रुचि बनाये रखने के लिए सामूहिक जुड़ाव एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोच्चि में चलने वाला "साइकिल विथ कोच्चि" वैसी महिलाओं को साइकिल सिखाकर सशक्त बनाता है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। इसी तरह कोटा का "साइक्लोट्रोट्स" जो 4000 से भी ज्यादा साइकिल चालकों का एक समूह है, यह कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण को कम करने के लिए कई कार्यशालाओं का आयोजन करता है और छात्रों को जागरूक करता है। इस तरह के सकारात्मक पहल स्वास्थ्य और पर्यावरण स्थिरता के बारे में जागरूकता बढ़ाकर, शहरों को साइकिल के लिए ज्यादा अनुकूल बनाने की कोशिश में लगे हैं।
क्या आपका शहर साइकिल चलाने के लिये अनुकूल है? आपके शहर में मौजूद बुनियादी सुविधाओं ने आपके साइकिल चलाने के अनुभव को किस तरह प्रभावित किया है? क्या आपको इससे मदद मिली है या फिर किसी तरह की असुविधा हुई है?

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