Special Mention #2

 

मेरा शहर ब्यूटिफ़ुल

चहल-पहल वाली गलियों से गुजरते हुए आज सुमन को कई बरस हो गए थे, ये वही गलियां हुआ करती थी जो कभी कूड़े के ढेर से उठती हुई धुआं के कारण आसपास के लोगो के लिए बीमारियों का कारण थी।

सुमन ने अपने पर्स से इत्र से सनी हुई रूमाल निकाली और अपने कार के सीसे को नीचे सरकाया और बाहर देखकर खुद से ही बोली “ब्यूटीफुल”।

ड्राइवर भी अपने मैडम के हाव भाव को पहचान गया था और खुद को बोलने से रोक नहीं पाया , “माफी चाहते हैं मैडम लेकिन ई जेतना भी काम हुआ है न,  काफी खून पानी लगा है तब जाकर आप सुंदर नजारा देख रहे हैं,और तो और टोटल का टोटल सब आज कल के लैका ही किया है”।

सुमन मूल रूप से पटना की थी और मध्यप्रदेश के जबलपुर में बतौर (स्वास्थ्य सचिव) आई.ए.एस कार्यरत थी और चार सालों के बाद अपने घर पटना वापस लौटी थी।ड्राइवर का इस तरह घुलना उसको भी अच्छा लग रहा था और काम से दूर अपने शहर के नयापन जानने के लिए उसे ही अपना गाइड समझा।

आगे बताते हुए ड्राइवर ने बताया  “2016 में जगह जगह पानी जमा हुआ था पटना में और कई लोगो में डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारी आती रही, कचरा का सही से प्रबंधन नहीं हो रहा था, लेकिन काफी हद तक इन सब चीजों में अब जाकर सुधार हुआ है”।

कुछ इसी तरह की बाते और युवाओं का योगदान के बारे में ड्राइवर सुमन मैडम को बताते रहा और जैसे ही डाक बंगला चौराहा के ट्रैफिक पर गाड़ी रोकी गई सुमन मैडम ने देखा कुछ युवा नेता खुली जीप में रोड शो कर रहे हैं, जोश सबों में इतनी मानो आसमान को झुका दे, इन सबों को देखकर सुमन को भी अपने कॉलेज के दिनों की याद आने लगी और खुद को उसी युवा वर्ग में महसूस किया।

“रंजीत जरा गाड़ी साइड में आप पार्क कीजिए, मैं इन सब से मिल के आ रही हूं”।ड्राइवर ने पार्किंग में गाड़ी को पार्क किया और सुमन मैडम उस भीड़ का हिस्सा हो गई।

दरअसल ये प्रचार प्रसार वार्ड पार्षद के चुनाव को लेकर था और पटना के अधिकांश वार्ड में इस बार एक अलग ही आंकड़े देखने को मिल रहा था , नए नए चेहरे के पीछे हुजूम उमड़ रहा था , जहां पुराने प्रत्याशी अपनी दावेदारी को मजबूरी में पेश कर रहे थे वही नए युवा चेहरा खुलकर अपनी बातों को रखते हुए एक अलग सलीका में परिवर्तित पटना का एहसाह करवा रहे थे।

सुमन मैडम को अंदाज पसंद आया और जुलूस में शामिल होकर गांधी मैदान तक का सफर उसी सब के साथ पूरा किया, गुलाल में सनी हुई सुमन मैडम को शायद अपने शहर का भविष्य सुरक्षित दिख रहा था इन युवा साथियों के हाथों में।

छुट्टी खत्म होते ही सुमन मैडम ने फ्लाइट पकड़ी और अपने ड्यूटी को वापस लौट गई, प्लेन के खिड़की के बाहर इस उम्मीद में देखा कि शायद ये स्लम एरिया की बस्ती का हाल अच्छी हो जाए, महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर हो, साफ सफाई बेहतर हो , आंखों पर तौलिया रखकर भीगे मन से शहर को अलविदा कहा और चली गई फिर से वापस लौटने के इंतजार में।

ईधर चुनाव खत्म हुए और अधिकांश सीटों पर युवा प्रत्याशी आगे आए और अब बारी थी शहर की हालात बदलने का , सारे वार्ड पार्षद का मीटिंग बुलाया गया और सबसे पहले शहर में महिलाओं के सुरक्षा का मुद्दा उठाया गया, उन तमाम कारणों पर प्रकाश डाला गया जिस से आधी आबादी को घर से बाहर निकलने में रात को परेशानी हो रहा हो, परिणाम स्वरूप निष्कर्ष यह निकला कि हर एक गली में और हर एक मोड़ पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, टोल फ्री नंबर 222 चौबीसों घंटे काम करेंगे और समाज के मानसिकता को शिक्षा के माध्यम से बदलने की कोशिश करेंगे। सभी युवाओं ने इसका समर्थन किया ।

रिजल्ट इसका ये आया कि अगले 2 महीने के भीतर एक भी ऐसा कोई मामला नहीं आया जहा महिलाओं के खिलाफ कोई अनैतिक कार्य किया गया हो। 

अब बारी थी साफ सफाई व्यवस्था बेहतर बनाने की, ऐसा नहीं था कि पूर्व के लोगो ने साफ सफाई पर ध्यान नहीं दिया बल्कि उनलोगो ने इसपर नीतियों को नए तरीके से नहीं सोचा और बस रामभरोसे  ही इसको छोड़ना मुनासिब समझा , युवाओं की फौज ने पटना को और बेहतर बनाना अपनी जिम्मेदारी समझी।

सबसे पहले उस चीज को संज्ञान में लाया गया जिसमे देश के टॉप रैंक के शहर स्वक्षता में आता हो तो मध्य प्रदेश के इंदौर शहर को रोल मॉडल चुना गया, इंदौरी पॉलिसी को अपनाया गया, सारे वार्डो में ये ऐलान किया गया कि जिस वार्ड का नाम स्वक्षता सर्वेक्षण में प्रथम स्थान प्राप्त करेगा उसको 10 लाख का इनाम दिया जाएगा, ऐसा ऑफर आते ही लोगो ने कंपटीशन की भावना से अपने गलियों मोहल्ला में कचरा जहा तहां फेकना बंद किया और स्वच्छ रखने की होड़ में लग गए, कचड़ा कूड़ेदान के अलावा यत्र तत्र फेकने वाले के ऊपर सीसीटीवी से मॉनिटरिंग होने लगी और जुर्माने का प्रावधान किया गया, शुरुआत में लोगो को ये आदत जाने में समय लगा मगर अब स्वच्छ रखना ही उनकी आदत सी हो गई थी।

सारे शहर ने  युवाओं के कार्य को सराहा और युवा जिम्मेदारियों के उपर गर्व महसूस किया ।

लेकिन अभी भी एक तबका ऐसा था जो विकास से वंचित रह गया और वो था शहर के अलग अलग जगहों में रह रहे स्लम बस्ती वालो कि, जब इनका ध्यान इन बस्तियों पर गया तो ऐसा लगा मानो इनके साथ भेदभाव किया जा रहा हो, एक ही शहर के लोग मगर अलग अलग ढंग से रहने को मजबूर, ऐसा भेद भाव क्यों?

सारे वार्ड पार्षदों ने अपने यहां के लोकल विधायक से संपर्क किया और विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने की बात कही, विधायक जी ने भी हामी भरी और विधानसभा के सत्र आते ही प्रस्ताव रखा कि स्लम एरिया वालो को एक पैटर्न के तहत बसाया जाए और इन्हें भी एक शहर का अंग माना जाए , बेहतर शिक्षा उपलब्ध हो, स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जाए , पक्के मकान बतौर मालिकाना हक इनको दिया जाए, सारे सदस्यों के सहमति से इनके प्रस्ताव के उपर चर्चा हुई और बिल पास कर दिया गया।

नतीजतन कुछ ही महीनों में सर्वेक्षण हुआ और सारे लोगो को विस्थापित किया गया और स्कूल और अस्पताल बनाया गया। स्लम एरिया के लोगों को एक ही पैटर्न का घर दिया गया जो मानो ऐसा प्रतीत हो रहा हो जैसे ब्रिटेन में व्यवस्थित ढंग से लोग बसते हो।

युवाओं में जोश और रफ्तार के परिणामस्वरूप ही शहर का विकास बोलने लगा और पटना वास्तव में अपने पुराने इतिहास को जी रहा था, वही शहर जिसने युवा चंद्रगुप्त मौर्य को बनाया, वही शहर जिसने चाणक्य के अर्थशास्त्र को समेटा, वही शहर जिसने हूण और शाक को हराया, वही शहर जिसने अशोक को सम्राट अशोक बनाया।

सुमन मैडम दोबारा अपने शहर को 2021 में लौटी और विमान के खिड़की से ही गुलाबी रंग के पक्के मकान दिखने शुरू हो गए, ड्राइवर रंजीत एयरपोर्ट पर आया था मैडम को रिसीव करने ।

“नमस्ते मैडम, 1 साल बाद आ रही हैं आप, बहुत बढ़िया मौके पर आईं हैं आप, अब तो दिवाली और छठ दोनो का ही आनंद लीजिए पटना में”- उत्साह में ड्राइवर ने सुमन मैडम का सामान उठाया और गाड़ी में रखते हुए बोला।

रास्ते में मैडम ने पूछा “रंजीत वो गुलाबी रंग का बहुत सारा मकान क्या है”? रंजीत मुस्कुरा कर बोला” मैडम आपके युवाओं ने कमाल कर दिया ये झुग्गी वालो को बसाया गया है,”  गाड़ी आगे आगे बढ़ रही थी और मैडम को शहर का बदलाव नजर आ रहा था।

दीपावली में मैडम, उनकी मां और रंजीत छत पर खड़े होकर आस पास के बच्चों के साथ फुलझड़ी जला रहे थे और सारे शहर के जगमगाहट का मुआयना कर रहे थे, ये उनकी पहली ऐसी दिवाली थी जिसमे कहीं किसी महिलाओं के उपर कोई बुरा बर्ताव का कोशिश न हुआ हो, कहीं कोई गंदगी नहीं हो और गरीबों और अमीरों के मकान के बीच दिया और झालरों को लेकर फर्क न हुआ हो। चारो तरफ बस जगमग जगमग शहर नजर आ रहा था।

इधर सुमन मैडम की मां खाना परोस रही थीं और रंजीत गाड़ी को पार्क कर रहे थे और सुमन मैडम युवाओं के कार्य को सराह रहे थे , ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे सच में आज राम जी पटना ही लौटे हो, और लक्ष्मी जी धन दौलत के साथ साथ सरस्वती जी बुद्धि और विवेक उड़ेल रही हों।

उनको ये लगा अच्छा होता शहर पहले ही युवाओं के नीतियों से लैश होता। खुद के शहर को तारीफ करने से नहीं रोक पाई।

अनायास ही सुमन मैडम के मुंह से निकला “ब्यूटीफुल”।

 

Suruchi Suman is a BA.LLB. Student at the Central University of South Bihar. She is a resident of Patna.

This piece is part of Nagrikal, a platform for citizens from small cities to share their experiences so that they be channeled into policies.