From Definition to Conservation: A Study on Urban Wetlands

From Definition to Conservation: A Study on Urban Wetlands

The report, titled "From Definition to Conservation: A Study on Urban Wetlands of India,"  discusses a range of phenomena related to urban wetlands by combining conceptual discussions with real-life experiences and examples from cities. While prominent cities such as Bangalore, Delhi, and Chennai are often referenced to highlight specific instances related to urban wetlands, conscious efforts have been made to include examples from less-discussed wetlands like Srinagar, Nainital, Leh, Kollam, and Guwahati, among others.

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First Place Entry - 2023

First Place Entry - 2023

“If only Ongole becomes the greatest city, none of its residents have to leave to other places for better opportunities. Because dying in the same place you’re born is not the sign of a loser or of cowardice who didn’t make it or explore the world but of the ultimate blessing that a person is born in the right place. Only a few people get that lucky in this world.” 

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Second Place Entry - 2023

Second Place Entry  - 2023

Nani's voice quivered with emotion as she spoke her silent wishes aloud. "My little child, I yearn to leave behind a beautiful city for you and your generation. A city of green development, with improved infrastructure, better connectivity, flourishing tourism, and diverse income-generating sources. But not at the cost of what we already hold dear. Not at the expense of our rich cultural heritage, nor by harming our precious motherland and its green environment. Above all, I wish for a city that doesn't lose the social connections we have cherished. A city where neighbors are not strangers but friends, where bonds of community are strengthened, and where the love and compassion we once shared are revived."

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Representation in City governments on the basis of Gender and Community Identity

Representation in City governments on the basis of Gender and Community Identity

The 74th constitutional amendment mandated that the local government should have adequate representation of historically marginalized groups, typically belonging to the scheduled castes, scheduled tribes and other backward classes. It also mandates that at least ⅓ of the seats should be reserved for women, both in reserved and in unreserved seats.

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How are we represented in our city governments?

How are we represented in our city governments?

The number of citizens represented by a councillor, or the representation ratio, has direct implications on the effectiveness of local government and the degree of citizen engagement. In India, two factors determine the number of representatives in a city council. These are the population of the city and proportion of historically marginalised groups living in the city.

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Where are we Represented? City Governments and their Classifications

Where are we Represented? City Governments and their Classifications

Citizens are represented based on where they live. In our country, local governance is distinguished separately for urban and rural areas. Urban local governments are further dependent on whether a city is big or small, where it is located, what do the people living in the city do for a living etc. Therefore to understand how we are represented, it is important to see how city governments i.e. how the term ‘urban’ is defined in India.

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Who Represents us in City Governments?

Who Represents us in City Governments?

The urban local bodies or city governments are composed of different actors who take up different roles in the government to run the city. However, these actors are broadly divided into two groups, the administrative and the legislative. But out of these two groups, who represents us- the citizens? In a democratic setup, the answer is, the legislative group. The legislative body of councillors has members that are directly elected by the citizens of the city and is generally the most powerful body in the city government.

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Special Mention #2

 

मेरा शहर ब्यूटिफ़ुल

चहल-पहल वाली गलियों से गुजरते हुए आज सुमन को कई बरस हो गए थे, ये वही गलियां हुआ करती थी जो कभी कूड़े के ढेर से उठती हुई धुआं के कारण आसपास के लोगो के लिए बीमारियों का कारण थी।

सुमन ने अपने पर्स से इत्र से सनी हुई रूमाल निकाली और अपने कार के सीसे को नीचे सरकाया और बाहर देखकर खुद से ही बोली “ब्यूटीफुल”।

ड्राइवर भी अपने मैडम के हाव भाव को पहचान गया था और खुद को बोलने से रोक नहीं पाया , “माफी चाहते हैं मैडम लेकिन ई जेतना भी काम हुआ है न,  काफी खून पानी लगा है तब जाकर आप सुंदर नजारा देख रहे हैं,और तो और टोटल का टोटल सब आज कल के लैका ही किया है”।

सुमन मूल रूप से पटना की थी और मध्यप्रदेश के जबलपुर में बतौर (स्वास्थ्य सचिव) आई.ए.एस कार्यरत थी और चार सालों के बाद अपने घर पटना वापस लौटी थी।ड्राइवर का इस तरह घुलना उसको भी अच्छा लग रहा था और काम से दूर अपने शहर के नयापन जानने के लिए उसे ही अपना गाइड समझा।

आगे बताते हुए ड्राइवर ने बताया  “2016 में जगह जगह पानी जमा हुआ था पटना में और कई लोगो में डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारी आती रही, कचरा का सही से प्रबंधन नहीं हो रहा था, लेकिन काफी हद तक इन सब चीजों में अब जाकर सुधार हुआ है”।

कुछ इसी तरह की बाते और युवाओं का योगदान के बारे में ड्राइवर सुमन मैडम को बताते रहा और जैसे ही डाक बंगला चौराहा के ट्रैफिक पर गाड़ी रोकी गई सुमन मैडम ने देखा कुछ युवा नेता खुली जीप में रोड शो कर रहे हैं, जोश सबों में इतनी मानो आसमान को झुका दे, इन सबों को देखकर सुमन को भी अपने कॉलेज के दिनों की याद आने लगी और खुद को उसी युवा वर्ग में महसूस किया।

“रंजीत जरा गाड़ी साइड में आप पार्क कीजिए, मैं इन सब से मिल के आ रही हूं”।ड्राइवर ने पार्किंग में गाड़ी को पार्क किया और सुमन मैडम उस भीड़ का हिस्सा हो गई।

दरअसल ये प्रचार प्रसार वार्ड पार्षद के चुनाव को लेकर था और पटना के अधिकांश वार्ड में इस बार एक अलग ही आंकड़े देखने को मिल रहा था , नए नए चेहरे के पीछे हुजूम उमड़ रहा था , जहां पुराने प्रत्याशी अपनी दावेदारी को मजबूरी में पेश कर रहे थे वही नए युवा चेहरा खुलकर अपनी बातों को रखते हुए एक अलग सलीका में परिवर्तित पटना का एहसाह करवा रहे थे।

सुमन मैडम को अंदाज पसंद आया और जुलूस में शामिल होकर गांधी मैदान तक का सफर उसी सब के साथ पूरा किया, गुलाल में सनी हुई सुमन मैडम को शायद अपने शहर का भविष्य सुरक्षित दिख रहा था इन युवा साथियों के हाथों में।

छुट्टी खत्म होते ही सुमन मैडम ने फ्लाइट पकड़ी और अपने ड्यूटी को वापस लौट गई, प्लेन के खिड़की के बाहर इस उम्मीद में देखा कि शायद ये स्लम एरिया की बस्ती का हाल अच्छी हो जाए, महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर हो, साफ सफाई बेहतर हो , आंखों पर तौलिया रखकर भीगे मन से शहर को अलविदा कहा और चली गई फिर से वापस लौटने के इंतजार में।

ईधर चुनाव खत्म हुए और अधिकांश सीटों पर युवा प्रत्याशी आगे आए और अब बारी थी शहर की हालात बदलने का , सारे वार्ड पार्षद का मीटिंग बुलाया गया और सबसे पहले शहर में महिलाओं के सुरक्षा का मुद्दा उठाया गया, उन तमाम कारणों पर प्रकाश डाला गया जिस से आधी आबादी को घर से बाहर निकलने में रात को परेशानी हो रहा हो, परिणाम स्वरूप निष्कर्ष यह निकला कि हर एक गली में और हर एक मोड़ पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, टोल फ्री नंबर 222 चौबीसों घंटे काम करेंगे और समाज के मानसिकता को शिक्षा के माध्यम से बदलने की कोशिश करेंगे। सभी युवाओं ने इसका समर्थन किया ।

रिजल्ट इसका ये आया कि अगले 2 महीने के भीतर एक भी ऐसा कोई मामला नहीं आया जहा महिलाओं के खिलाफ कोई अनैतिक कार्य किया गया हो। 

अब बारी थी साफ सफाई व्यवस्था बेहतर बनाने की, ऐसा नहीं था कि पूर्व के लोगो ने साफ सफाई पर ध्यान नहीं दिया बल्कि उनलोगो ने इसपर नीतियों को नए तरीके से नहीं सोचा और बस रामभरोसे  ही इसको छोड़ना मुनासिब समझा , युवाओं की फौज ने पटना को और बेहतर बनाना अपनी जिम्मेदारी समझी।

सबसे पहले उस चीज को संज्ञान में लाया गया जिसमे देश के टॉप रैंक के शहर स्वक्षता में आता हो तो मध्य प्रदेश के इंदौर शहर को रोल मॉडल चुना गया, इंदौरी पॉलिसी को अपनाया गया, सारे वार्डो में ये ऐलान किया गया कि जिस वार्ड का नाम स्वक्षता सर्वेक्षण में प्रथम स्थान प्राप्त करेगा उसको 10 लाख का इनाम दिया जाएगा, ऐसा ऑफर आते ही लोगो ने कंपटीशन की भावना से अपने गलियों मोहल्ला में कचरा जहा तहां फेकना बंद किया और स्वच्छ रखने की होड़ में लग गए, कचड़ा कूड़ेदान के अलावा यत्र तत्र फेकने वाले के ऊपर सीसीटीवी से मॉनिटरिंग होने लगी और जुर्माने का प्रावधान किया गया, शुरुआत में लोगो को ये आदत जाने में समय लगा मगर अब स्वच्छ रखना ही उनकी आदत सी हो गई थी।

सारे शहर ने  युवाओं के कार्य को सराहा और युवा जिम्मेदारियों के उपर गर्व महसूस किया ।

लेकिन अभी भी एक तबका ऐसा था जो विकास से वंचित रह गया और वो था शहर के अलग अलग जगहों में रह रहे स्लम बस्ती वालो कि, जब इनका ध्यान इन बस्तियों पर गया तो ऐसा लगा मानो इनके साथ भेदभाव किया जा रहा हो, एक ही शहर के लोग मगर अलग अलग ढंग से रहने को मजबूर, ऐसा भेद भाव क्यों?

सारे वार्ड पार्षदों ने अपने यहां के लोकल विधायक से संपर्क किया और विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने की बात कही, विधायक जी ने भी हामी भरी और विधानसभा के सत्र आते ही प्रस्ताव रखा कि स्लम एरिया वालो को एक पैटर्न के तहत बसाया जाए और इन्हें भी एक शहर का अंग माना जाए , बेहतर शिक्षा उपलब्ध हो, स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जाए , पक्के मकान बतौर मालिकाना हक इनको दिया जाए, सारे सदस्यों के सहमति से इनके प्रस्ताव के उपर चर्चा हुई और बिल पास कर दिया गया।

नतीजतन कुछ ही महीनों में सर्वेक्षण हुआ और सारे लोगो को विस्थापित किया गया और स्कूल और अस्पताल बनाया गया। स्लम एरिया के लोगों को एक ही पैटर्न का घर दिया गया जो मानो ऐसा प्रतीत हो रहा हो जैसे ब्रिटेन में व्यवस्थित ढंग से लोग बसते हो।

युवाओं में जोश और रफ्तार के परिणामस्वरूप ही शहर का विकास बोलने लगा और पटना वास्तव में अपने पुराने इतिहास को जी रहा था, वही शहर जिसने युवा चंद्रगुप्त मौर्य को बनाया, वही शहर जिसने चाणक्य के अर्थशास्त्र को समेटा, वही शहर जिसने हूण और शाक को हराया, वही शहर जिसने अशोक को सम्राट अशोक बनाया।

सुमन मैडम दोबारा अपने शहर को 2021 में लौटी और विमान के खिड़की से ही गुलाबी रंग के पक्के मकान दिखने शुरू हो गए, ड्राइवर रंजीत एयरपोर्ट पर आया था मैडम को रिसीव करने ।

“नमस्ते मैडम, 1 साल बाद आ रही हैं आप, बहुत बढ़िया मौके पर आईं हैं आप, अब तो दिवाली और छठ दोनो का ही आनंद लीजिए पटना में”- उत्साह में ड्राइवर ने सुमन मैडम का सामान उठाया और गाड़ी में रखते हुए बोला।

रास्ते में मैडम ने पूछा “रंजीत वो गुलाबी रंग का बहुत सारा मकान क्या है”? रंजीत मुस्कुरा कर बोला” मैडम आपके युवाओं ने कमाल कर दिया ये झुग्गी वालो को बसाया गया है,”  गाड़ी आगे आगे बढ़ रही थी और मैडम को शहर का बदलाव नजर आ रहा था।

दीपावली में मैडम, उनकी मां और रंजीत छत पर खड़े होकर आस पास के बच्चों के साथ फुलझड़ी जला रहे थे और सारे शहर के जगमगाहट का मुआयना कर रहे थे, ये उनकी पहली ऐसी दिवाली थी जिसमे कहीं किसी महिलाओं के उपर कोई बुरा बर्ताव का कोशिश न हुआ हो, कहीं कोई गंदगी नहीं हो और गरीबों और अमीरों के मकान के बीच दिया और झालरों को लेकर फर्क न हुआ हो। चारो तरफ बस जगमग जगमग शहर नजर आ रहा था।

इधर सुमन मैडम की मां खाना परोस रही थीं और रंजीत गाड़ी को पार्क कर रहे थे और सुमन मैडम युवाओं के कार्य को सराह रहे थे , ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे सच में आज राम जी पटना ही लौटे हो, और लक्ष्मी जी धन दौलत के साथ साथ सरस्वती जी बुद्धि और विवेक उड़ेल रही हों।

उनको ये लगा अच्छा होता शहर पहले ही युवाओं के नीतियों से लैश होता। खुद के शहर को तारीफ करने से नहीं रोक पाई।

अनायास ही सुमन मैडम के मुंह से निकला “ब्यूटीफुल”।

 

Suruchi Suman is a BA.LLB. Student at the Central University of South Bihar. She is a resident of Patna.

This piece is part of Nagrikal, a platform for citizens from small cities to share their experiences so that they be channeled into policies.

 

Special Mention #1

Special Mention #1

In the world of cities, I come from a third-tier city, in the foothills of Vindhya mountains, on the Malwa plateau. Dewas. It is simple. It is scenic. It is serene. It is stagnant. I have been with it since 2008, and the city could not jump on the bandwagon of development and progress. It might be the geography - semi-arid vegetation, depending highly on monsoon, due to absence of any major perennial river, except Kshipra - a seasonal river of mythical importance, or lack of a strong leader, or sentimental significance. The reasons are contentious, and manifold.

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Winning Entry

 

हम पटना शहर से आते हैं

 

हम पटना शहर से आते हैं,

इतिहास गवाह है शौर्य का,

कौटिल्य के अर्थशास्त्र का ,

गर्व चंद्रगुप्त मौर्य का,

पूरब गुरु गोविंद सिंह जी का ज्ञान है,

तो पश्चिम पाटलिपुत्र की शान है,

उत्तर गंगा का सुकून है ,

तो दक्षिण तरक्की का जुनून है,

नित नया इतिहास गढ़ते हैं,

लक्ष्य आसमां ही सही बस चलते हैं,

बदलती राह का प्रतिबिंब हैं,

हम युवा हैं, शहर का स्तंभ हैं,

हम चंचल मन,

हम ताजे उपवन,

हम बागडोर के फीते हैं,

 हम नए सिरे से जीते हैं,

लक्ष्य हमारा सतत विकास का,

भूत से भविष्य के प्रयास का,

हम में अपनेपन का अहसास है,

मैं से हम होना ही खास है,

बात हो गर नेतृत्व की,

जो विश्व पटल पर पटना को लाए,

हम युवा ही बेहतर होंगे,

क्रांति की मसाल जो बन छाए,

खामियां बेहतर हम जानते हैं,

बारीक गलतियों को पहचानते हैं,

क्या कमी रही होगी कल तक,

उसे अपनी कमी ही मानते हैं,

हम युवा सूत्रधार हैं,

अपने शहर का मूलाधार हैं,

नित्य नए प्रतीत तकनीक से,

सुगम विकास का रफ्तार हैं,

कहीं जाम लगी हो गाड़ी की,

कहीं सवाल सुरक्षा नारी की,

कहीं कूड़े का अंबार पड़ा है,

कहीं कोई काम बिना बेगार पड़ा है,

पर्यावरण की बचाव की हो,

कचड़ा प्रबंधन या जल जमाव की हो,

चाहे बात हो स्वच्छता की या,

लोगों की नई मानसिकता की,

हम युवा हैं,

हम कुशल हैं,

हम पहली सीढ़ी, 

हम ही मंजिल हैं,

शिक्षा,स्वास्थ्य का खयाल रखेंगे,

समानता का प्रवाह होगा,

हर एक मोड़ पर हम मिलेंगे,

अपनापन का भाव होगा,

नए नए वृक्षारोपण होंगे,

पर्यावरण का अब न दोहन होंगे,

उमस भरी दिनों से राहत होगी,

दोबारा शहर आने की चाहत होगी,

ट्रैफिक चाक चौबंद मिलेंगे,

हम समय के पाबंद मिलेंगे,

जल जमाव का निदान होगा,

पटना हमारा दिलों जान होगा,

विकास गोलघर की ऊंचाई सा होगा,

अपनत्व ठेकुआ मिठाई सा होगा,

हम जल्द ही गिने जाएंगे,

उत्तम शहरों में चुने जाएंगे,

महिला सुरक्षा में दुरुस्त होंगे,

शांति व्यवस्था में चुस्त होंगे,

हम जागरूकता का पाठ होंगे,

विश्व पटल पर हमारे ठाठ होंगे,

सीसीटीवी का प्रावधान होगा,

कचड़ा प्रबंधन का साधन होगा,

सजीव पटना का आबो -हवा होगा,

दिल और जान बस युवा होगा,

जल जमाव का निदान होगा,

नाले -फ्लाईओवर का निर्माण होगा,

बदलते रास्तों का अनूठा मोड़ होंगे,

हम पटना शिक्षा में बेजोड़ होंगे,

चाहे विघ्न बाधा आएंगे,

हम पटना बस मुस्कुराएंगे,

उम्मीद से आगे बढ़ जाएंगे,

इतिहास से वर्तमान गढ़ जाएंगे,

ये हम युवा उम्मीद की झांकी है,

थोड़े ही हुए ,बहुत काम बाकी है,

बदलाव के रास्तों का मोड़ होगा,

हमारा पटना बेजोड़ होगा।।

 

Saumya is a BA.LLB. Student at the Central University of South Bihar. She is a resident of Patna.

This piece is part of Nagrikal, a platform for citizens from small cities to share their experiences so that they be channeled into policies.

 

Second Place Entry

Second Place Entry

We will be the future and together we will shape the course of government, it is only right we come forward and start taking reigns. My imagination may have led me to that doorstep in a small Himalayan town of Agastyamuni and changed my view of my city with my own efforts. How will we together change our nation for the better with this energy surging inside. The youngest nation of the world will take its rightful place of Vishwaguru only when the youth becomes part of governance at every level.

Together for the nation an anthem we sung,
Governance is the answer for the young.
New age needs have new demands
Youth will be the leaders taking command.

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