नई डिजिटल आबादी
- connect2783
- Feb 16, 2024
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Updated: Jul 17
एक-एक सोशल मीडिया स्टोरी के साथ, छोटे शहरों का भारत इंटरनेट पर छा रहा है। कुशीनगर, करीमगंज और अंखलेश्वर जैसे शहरों के क्रिएटर्स ट्रकिंग की कहानियां हो या के-ड्रामा क्यूरेशन, ऑनलाइन अपनी पहचान और आर्थिक स्वतंत्रता बना रहे हैं। लेकिन वायरल सफलता के पीछे डिजिटल असमानताएं, फंडिंग की चुनौतियां और उद्यमी जज़्बा भी है। भारत की इस नई कंटेंट क्रिएटर इकोनॉमी की यात्रा कितनी लंबी होगी?

भारतीय ट्रक ड्राइवर राजेश रवानी का यूट्यूब चैनल 'आर राजेश व्लॉग' 13 लाख 30 हजार से भी ज्यादा सब्सक्राइबर के साथ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सनसनीखेज खबर बन गया है। इसी तरह करीमगंज की एक स्कूल टीचर कृतंजली सिन्हा ने अपने के-कंटेंट (कोरियन कंटेंट) में विशेष रुचि के जरिये इंस्टाग्राम पर 1 लाख 24 हजार फॉलोअर्स जुटाने में सफलता प्राप्त की है। छोटे शहरों में कंटेंट क्रिएटर्स की उभरती हुई आबादी भारत के डिजिटल स्वरूप में एक बड़े बदलाव की ओर इशारा करती है।
COVID-19 महामारी ने लोगों को ऑनलाइन प्लेटफार्मों की ओर मोड़ा, जहां उन्होंने मनोरंजन, शिक्षा के साथ-साथ लॉकडाउन के दौरान आय का जरिया भी पाया।
पिछले एक दशक में स्मार्टफोन और इंटरनेट की किफायती पहुंच ने टियर 1 शहरों के अलावा गाँवों में भी सोशल मीडिया के प्रसार को खूब बढ़ावा दिया है। कोविड-19 महामारी ने मनोरंजन और शिक्षा के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लोगों की निर्भरता बढ़ा दी। इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान जब लोगों के पास कमाई का दूसरा कोई साधन नहीं था तो वे इससे ही कमाई करने लगे।
अलीगढ़ की दीपांशी जैन ने खुद का खर्च चलाने के लिए यूट्यूब सफर की शुरुआत की। जैन ने अपने कंटेंट को मुद्रीकृत करने के लिए कई ब्रांड से साझेदारी की, स्पॉन्सरशिप और सुपर चैट जैसी रेवेन्यू स्ट्रीम की मदद ली। ऑक्स्फोर्ड इकोनॉमिक्स के अध्ययन से यह बात सामने आई कि साल 2021 में यूट्यूबर्स ने अकेले भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में ₹10,000 करोड़ का योगदान दिया जो 750,000 फुल टाइम नौकरियों के बराबर है। इस दौरान इंदौर के आकाश रानीसन जैसे क्रिएटर भी अपने कंटेंट के जरिए सामाजिक जिम्मेदारी और स्थिरता पर चर्चा कर लोगों तक अपनी बात पहुँचा रहे हैं।
ऑक्सफ़ोर्ड इकोनॉमिक्स की एक अध्ययन में पता चला कि यूट्यूबर्स ने 2021 में भारत की GDP में ₹10,000 करोड़ का योगदान दिया, जिससे लगभग 7,50,000 पूर्णकालिक नौकरियां पैदा हुईं।
लेकिन कई लोग दूरदराज के क्षेत्रों और महानगरों के बीच बने डिजिटल डिवाइड (डिजिटल विभाजन) से भी प्रभावित हो रहे हैं। आरजी फैक्ट बॉय के क्रिएटर रोहित गुप्ता को अपने यूट्यूब के 10 करोड़ डॉलर शॉर्ट्स फंड के माध्यम से हुई कमाई प्राप्त करने में बहुत परेशानी हुई क्योंकि उनके गाँव कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय बैंक प्रक्रिया के बारे में जानकारी की कमी है। कलारी कैपिटल रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 8 करोड़ कंटेंट क्रिएटर्स में से केवल 1.5 लाख ही अपनी सेवाओं का प्रभावी ढंग से मुद्रीकरण (किसी चीज को पैसे में बदलना) करने में सक्षम हैं।

हालांकि अंकलेश्वर की सलोनी श्रीवास्तव हसलपोस्ट अकादमी के माध्यम से लोगों को सशक्त कर रही हैं ताकि वे अपनी उद्यमशीलता का रास्ता खुद खोज सकें।
बड़े पैमाने पर बढ़ते हुए कंटेंट ट्रेंड के माध्यम से छोटे शहरों के क्रिएटर न केवल डिजिटल स्वरूप को आकार दे रहे हैं, बल्कि स्थानीय और वैश्विक स्तर पर सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता को भी एक नई परिभाषा दे रहे हैं।
कालारी कैपिटल की रिपोर्ट के अनुसार, करीब 8 करोड़ भारतीय कंटेंट क्रिएटर्स में से केवल 1.5 लाख ही अपनी सेवाओं से प्रभावी रूप से आय कमा पा रहे हैं।
क्या आप अपने शहर के किसी कंटेंट क्रिएटर को जानते हैं? वे छोटे शहर में कंटेंट क्रिएटर होने की चुनौतियों से किस प्रकार लड़ रहे हैं?
कम प्रसिद्ध शहरों और कस्बों से YouTube
पर इन कंटेंट क्रिएटर्स को देखें!

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