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उभरते हुए स्टार्टअप सितारे

  • connect2783
  • May 23, 2024
  • 6 min read

Updated: Jul 16

भारत के स्टार्टअप माहौल में बदलाव आ रहा है, जहाँ टियर-2 और टियर-3 शहर नई कंपनियों की तेजी से वृद्धि कर रहे हैं। छोटे शहर अब देश के आधे स्टार्टअप का हिस्सा बन चुके हैं, जो स्थानीय समर्थन, कुशल प्रतिभा और सरकारी योजनाओं की वजह से आगे बढ़ रहे हैं। फिर भी, फंडिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। क्या ये छोटे शहर आने वाले समय में बड़े इनोवेशन हब बन सकते हैं? शार्क टैंक जैसे शो इन उभरते सितारों पर ध्यान दे रहे हैं; क्या ये उनके हुनर को निखारने की चाबी हो सकते हैं?

"छोटे व्यवसाय हमारी अर्थव्यवस्था के इंजन और हमारे समाज की धड़कन हैं।" - करेन मिल्स
Image: Incubation centre in Udaipur | Small Towns, Big Ideas, Primus
Image: Incubation centre in Udaipur | Small Towns, Big Ideas, Primus

भारत में परंपरागत रूप से बैंगलोर, नई दिल्ली और मुंबई स्टार्ट-अप का गढ़ हुआ करते थे, किन्तु अब छोटे शहर भी इस क्षेत्र में उभर रहे हैं। योग्य और कुशल कार्यबल, राज्य सरकार की पहल, स्थानीय निवेशकों का बढ़ता विश्वास और मजबूत बुनियादी सुविधाओं से प्रभावित होकर ज्यादा से ज्यादा स्टार्टअप इन छोटे शहरों का ही चयन कर रहे हैं।


मौजूदा समय में उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के तहत दिसम्बर 2023 तक पंजीकृत हुए 115,000 से भी ज्यादा स्टार्टअप्स में से लगभग 50% टियर-2 और टियर-3 शहरों के हैं। आर्थिक सर्वे 2022-23 के मुताबिक, डीपीआईआईटी द्वारा रजिस्टर्ड इन स्टार्टअप ने 2017 से लेकर अब तक तकरीबन 9 लाख से भी ज्यादा रोजगार के अवसर मुहैया कराए हैं। साल 2022 में 64% नई नौकरियों की जबरदस्त बढ़ोतरी के साथ इसने अपने पिछले 3 सालों के रिकॉर्ड को तोड़ा है।


डेलॉयट इंडिया और नैसकॉम की रिपोर्ट का यह दावा है कि भारत के 245 बिलियन डॉलर के टेक्नोलॉजी सेक्टर से 50% लागत को बचाया जा सकता है पर इसके लिए देश की उन 15% प्रतिभाओं को सामने लाना होगा जो उभरते हुए टियर-2 और 3 शहरों में रहती है।

अहमदाबाद, चंडीगढ़, इंदौर, जयपुर, कोच्चि, मैसूर, वारंगल, हुबली, मदुरै, रायपुर, गुवाहाटी और विशाखापत्तनम जैसे शहर तकनीकी केंद्र बन रहे हैं। छोटे शहरों के उभरते स्टार्टअप में जयपुर से रेजरपे, विशाखापत्तनम से सांख्य लैब्स, पुणे से फीकॉमर्स, सूरत से टेकहाइव और चंडीगढ़ से लीवेहर्ट्ज आदि शामिल हैं।


भारत के टियर-2 और 3 शहरों में स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए अवसर और चुनौतियाँ

टियर-2 और 3 शहरों में स्टार्टअप्स के विकास के बाद भी उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिनमें फंडिंग, मेंटरिंग, लीगल इन्टिटी सेलेक्शन और स्केलेबिलिटी आदि और भी कारक शामिल है। छोटे शहरों में स्टार्टअप सीमित संसाधन और कुशल कार्यबल की कमी के कारण कई तरह की मुश्किलों का सामना करते हैं। अपने विचार को व्यवसाय में बदलना, रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया और महानगरों तक अपने व्यवसाय का विस्तार करने में उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ता है। छोटे शहरों में स्टार्टअप की खास जरूरतों को पूरा करने के लिए एक प्रभावी आधारभूत ढांचे की आवश्यकता नजर आती, है जो इनकी सहायता कर सके।


प्राइमस पार्टनर्स प्राइवेट लिमिटेड के एक सर्वे रिपोर्ट जिसका नाम "छोटे शहर, बड़े विचार : भारत के टियर 2 और 3 शहरों में नवाचार और उद्यमिता का उदय" ने इस बात को उजागर किया कि छोटे शहरों में लगभग 40% से ज्यादा स्टार्टअप्स मुख्य रूप से फंडिंग को एक बड़ी चुनौती के तौर पर देखते हैं। इनमें से केवल 12% स्टार्टअप्स को प्री-सीड फंडिंग मिलती है जो शुरुआती दौर के उत्पाद के विकास को बढ़ाने के लिये दी जाती है। वहीं 10% स्टार्टअप्स को सीड-फंडिंग प्राप्त होती है जिसे पहले चरण के तौर पर व्यवसाय को मजबूत बनाने के लिए दिया जाता है। जबकि केवल 2% स्टार्टअप्स ऐसे हैं जिन्हें सीरीज ए फंडिंग मिलती है। इन सबके बाद भी एंजल इन्वेस्टर नेटवर्क अहमदाबाद, इंदौर, देहरादून, राजकोट, कोयम्बटूर, सूरत और नागपुर जैसे टियर-2 और 3 शहरों में तेजी से फैल रहा है।


भारत के छोटे शहरों के स्टार्टअप को सामूहिक और रणनीतिक साझेदारी से लाभ

ग्वालियर के एक आयुर्वेदिक ब्रांड अमृतम ने कम्युनिटी बिल्डिंग कैम्पेन की सहायता से कुछ नए तरीके अपनाकर जैसे कि मेंटल हेल्थ पॉडकास्ट और ग्वालियर के शास्त्रीय संगीतकारों पर एक वीडियो डॉक्यूमेंट्री सीरीज बनाकर लोगों तक अपनी पहुँच बनाई। इस तरह के इनोवेटिव कदम और कई समुदाय की सहायता से इस स्टार्टअप ने 2021 से अब तक हर साल 240% वृद्धि का लाभ उठाया और दुनिया भर के तकरीबन 40 देशों में 100,000 से भी अधिक उत्साही लोगों के समूह को बनाने में सफल हुआ। इसी तरह गुवाहाटी के एक फैशन ब्रांड लिटिलबॉक्स ने शार्क टैंक इंडिया की तरफ से फंडिंग हासिल की। फाउंडर रिमझिम और पार्थ ने बताया कि उन्हें अपने शहर के लिए कुछ करना है और यहाँ के स्थानीय युवाओं को उद्यमिता की क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना है। इन्होंने असम में अपने सपोर्टिव स्टार्टअप इकोसिस्टम की मैपिंग की और ये अपनी सफलता का पूरा श्रेय सरकारी पहल और इन्क्यूबेशन सेंटर को देते हैं।


Shark Tank has ignited the entrepreneurial spirit in Tier 2 and Tier 3 cities.

उत्तराखंड स्थित स्टार्टअप नमकवाली को शार्क टैंक इंडिया पर प्रदर्शित किया गया। स्रोत: नमकवाली
उत्तराखंड स्थित स्टार्टअप नमकवाली को शार्क टैंक इंडिया पर प्रदर्शित किया गया। स्रोत: नमकवाली

हिमाचल प्रदेश के बंगाणा स्थित ऑनलाइन साड़ी स्टोर दीवा को शार्क टैंक पर प्रदर्शित किया गया। स्रोत: लिंक्डइन
हिमाचल प्रदेश के बंगाणा स्थित ऑनलाइन साड़ी स्टोर दीवा को शार्क टैंक पर प्रदर्शित किया गया। स्रोत: लिंक्डइन

छोटे शहरों में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख इन्क्यूबेशन सेंटरों के साथ रणनीतिक साझेदारी काफी सहायक होती है। गंगटोक का सिक्किम एंटरप्रेन्योरशिप एंड इकोनॉमिक डेवेलपमेंट (एसईईडी) सेल 'एक परिवार, एक उद्यमी' मिशन की पूर्ति के लिए काम करता है। कॉलेज के छात्रों को उद्यमिता और इनोवेशन के लिए प्रेरित करना और इस क्षेत्र में उन्हें सक्षम बनाना ही इस पहल का उद्देश्य है। अर्नस्ट एंड यंग कम्पनी और इंडियन एंजेल नेटवर्क के एक संयुक्त विश्लेषण से यह बात सामने आई है कि इन सहयोगों की वजह से ही टियर-2 और 3 शहरों के स्टार्टअप के लिए फंडिंग के अवसरों में तकरीबन 40% की बढ़ोतरी हुई है। उदाहरण के लिए, साल 2024 में अलायन्स ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (एडीआईएफ) और आईआईटी गुवाहाटी के टेक्नोलॉजी इन्क्यूबेशन सेंटर ने राज्य में उद्यमिता को बढ़ावा देने और टेक्नोलॉजी स्टार्टअप का सहयोग करने के लिये 2 साल तक वैध समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया। सबसे पहले राँची में लॉन्च होने वाले झारखंड एंजेल नेटवर्क ने पटना, भुवनेश्वर और दरभंगा में स्थित कई स्टार्टअप्स जैसे हनुमान (स्वास्थ्य सेवाओं की लास्ट माइल डिलीवरी), जिफिटेक (हेल्थकेयर सेवा के लिए एक ई-क्लीनिक), फ़ायडो (व्यवसाय विकास कम्पनी), झा जी (अचार व्यवसाय) के लिए धन जुटाया।


सरकारी पहलों के माध्यम से स्टार्टअप का विकास

स्टार्ट-अप इंडिया स्कीम साल 2016 में शुरू की गई थी, जिसके तहत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों और महिलाओं को नया उद्यम शुरू करने के लिए 10 लाख से 1 करोड़ रुपये तक के बैंक लोन की सुविधा दी जाती है। इस योजना ने टियर-2 और 3 शहरों के साथ-साथ अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) की मदद से 500 करोड़ रुपए का वार्षिक लोन गारंटी कोष भी बनाया है। ट्रैक्शन (जो सभी स्टार्टअप्स की निगरानी करती है) के मुताबिक साल 2020 से अब तक देश भर के 15 शहरों में 100 से भी ज्यादा स्टार्टअप लॉन्च हुए हैं, जबकि लखनऊ, कोच्चि, कोयम्बटूर, गाजियाबाद, भोपाल, भुवनेश्वर और नागपुर जैसे शहरों में इनकी संख्या 200 से भी अधिक है। इसके अलावा मोहाली, रांची, गुवाहाटी और प्रयागराज जैसे शहरों में 50 से अधिक स्टार्टअप्स हैं।


भारत सरकार ने टियर 2 और टियर 3 शहरों में उद्यमिता को समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय उद्यमिता नीति (एनईपी), स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम, स्टार्टअप इंडिया पहल, स्टैंड-अप इंडिया आदि जैसी पहलों की एक विस्तृत श्रृंखला शुरू की। छोटे शहर, बड़े विचार | प्राइमस
भारत सरकार ने टियर 2 और टियर 3 शहरों में उद्यमिता को समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय उद्यमिता नीति (एनईपी), स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम, स्टार्टअप इंडिया पहल, स्टैंड-अप इंडिया आदि जैसी पहलों की एक विस्तृत श्रृंखला शुरू की। छोटे शहर, बड़े विचार | प्राइमस

छोटे शहरों के स्टार्टअप्स और स्थिरता पर शार्क टैंक इंडिया का प्रभाव

साल 2021 से शार्क टैंक इंडिया ने शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी उद्यमिता को बढ़ावा दिया है। इस कारण स्टार्टअप को देश भर में प्रचार-प्रसार मिला है जिससे इसकी मांग और बिक्री में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। उदाहरण के लिए गोहाना के पिज्जा गैलेरिया की बिक्री में 4 गुना बढ़त हुई वहीं अहमदाबाद के पैराडाइज ने वेबसाइट ट्रैफिक में बीस गुना बढ़ोतरी की और साथ ही इसकी बिक्री भी दोगुनी हो गई। 


इसके अलावा यह शो पर्यावरण हितैषी स्टार्टअप का समर्थन करता है जो पर्यावरण के मुद्दे और इनोवेटिव उपाय के बारे में जागरूक करते हैं। आमतौर पर इस तरह के विकल्प को हमेशा अनदेखा कर दिया जाता है। उदाहरण के लिए पुणे का पैडकेयर लैब्स पीरियड हाइजीन पर काम करता है, अमरावती में इकोनीचर प्लास्टिक वेस्ट से फर्नीचर बनाने के साथ ही कचरे का निपटारा भी करता है, अहमदाबाद में गीनी इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर को बढ़ावा देता है। सूरत में कैनवालूप कृषि-अपशिष्ट से कपड़े का फाइबर तैयार करता है वहीं पुणे में कूल द ग्लोब व्यक्तिगत ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन की निगरानी करता है। इसी तरह शार्क टैंक इंडिया ने टिकाऊ और विश्वसनीय व्यावसायिक तरीकों को बढ़ावा देते हुए पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के साथ प्रभावशाली समाधान खोजने में भी सफलता हासिल की है।


भारत के महानगरों के मुकाबले छोटे शहरों में फंडिंग और बुनियादी सुविधाओं की कमी स्टार्टअप की बढ़ोतरी में अभी भी एक चुनौती बनी हुई है। हालांकि इन्क्यूबेशन सेंटर और स्टैंड-अप इंडिया जैसी सरकारी पहल की साझेदारी इसमें बहुत सहयोग करती है। छोटे शहरों में स्टार्टअप्स की बढ़ती लोकप्रियता और इनोवेशन की वजह से अब ये भारत की आर्थिक और तकनीकी विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए तैयार हैं।


क्या आपकी स्थानीय सरकार आपके शहर में स्टार्टअप्स को समर्थन दे रही है? क्या आपके शहर में भी कोई ऐसा स्टार्टअप है जिसे बड़े स्तर पर पहचान मिली हो?


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