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परंपराएं, रिमिक्सड - 2025 एडिशन

  • connect2783
  • Jan 30
  • 3 min read

Updated: Jul 16

2025 के करीब आते ही, भारत के छोटे शहरों में न्यू इयर ईव की खुशियां अब परंपरा और ग्लोबल ट्रेंड दोनों को अपना रही हैं। जो कभी सिर्फ़ परिवारों के बीच सिमटा हुआ जश्न होता था, वह अब पूरे समुदाय की जीवंत महफिल बन गई है। इन उत्सवों के साथ-साथ स्थिरता और आध्यात्मिकता की ओर भी रुझान बढ़ा है, जहां नागरिक साफ-सुथरे और हरे-भरे शहरों की उम्मीद जताते हैं। जब परंपराएं नए अंदाज में पेश हो रही हैं, तो आपके शहर ने नए साल का स्वागत कैसे किया?


Sस्रोत : अनीरुद्ध
Sस्रोत : अनीरुद्ध

घड़ी की सुई टिक-टिक करती हुई जैसे ही आधी रात का समय दिखाने लगी, देशभर के छोटे-बड़े शहर नववर्ष के जश्न में डूब गए! भारत में पारंपरिक रूप से नववर्ष का स्वागत अलग-अलग संस्कृति और कैलेंडर के अनुसार किया जाता है। वैशाखी, उगाड़ी, बिहू और नवरेह जैसे त्योहार विभिन्न समुदायों के लिए नए साल की शुरुआत का प्रतीक है, लेकिन 1 जनवरी को भी पूरे देश में जश्न का माहौल रहता है।


बदलते समय के साथ छोटे शहरों में 31 दिसंबर की रात को मनाए जाने वाले जश्न भी अब अलग रंग ले चुके हैं।

पहले ये सिर्फ पारिवारिक समारोहों तक सीमित थे, जहां लोग दूरदर्शन पर कुछ विशेष कार्यक्रम देखकर जश्न मनाया करते थे। लेकिन अब ये बड़े सामुदायिक आयोजनों का रूप ले चुके हैं। अब डीजे नाइट्स, टैरेस पार्टियां, क्लब इवेंट्स और रेस्टोरेंट में खास आयोजन किए जाने लगे हैं, जो समाज के बदलते तौर-तरीकों को दर्शाते हैं।


इंटरनेट और वैश्वीकरण के इस दौर में "न्यू ईयर ईव" का क्रेज छोटे शहरों के युवाओं में तेजी से बढ़ा है। उदाहरण के तौर पर अलीगढ़ में युवाओं और कपल्स ने थीम-बेस्ड पार्टी और कैफे इवेंट्स में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जो इस बदलते ट्रेंड को दर्शाता है!


हालांकि, ऐसे आयोजनों के साथ कुछ चुनौतियाँ भी आती हैं। छोटे शहरों में बढ़ती भीड़ ने प्रशासन को कड़ी सुरक्षा रखने पर मजबूर कर दिया है। ऊटी, तलेगांव और बोकारो जैसे शहरों में भीड़ को संभालने के लिए हाल के वर्षों में पुलिस सतर्कता बढ़ा दी गई है। प्रशासन ने चेकपॉइंट्स बनाए हैं और अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की है ताकि सुरक्षित और सुव्यवस्थित तरीके से जश्न मनाया जा सके।


ऐसे जश्न और उत्सव के माहौल के बीच लोगों में नववर्ष से जुड़ी धार्मिक आस्था में भी बढ़ोतरी हुई है। मदुरै और बरेली में लोग नए साल की शुरुआत में आशीर्वाद लेने के लिए मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर उमड़ पड़े, जो इन शहरों की गहरी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को दर्शाता है।


दिलचस्प बात यह रही कि नए वर्ष के जश्न के दौरान सबके दिलों में 2025 को लेकर एक टिकाऊ (सस्टेनेबल) भविष्य की आस थी। कोच्चि और तिरुवनंतपुरम के नागरिकों ने आने वाले वर्षों में स्वच्छ हवा, हरियाली और बेहतर शहरी नियोजन (अर्बन प्लानिंग) की इच्छा जाहिर की।


इस बीच, उत्तर प्रदेश के अमरोहा के युवाओं ने नए साल में नशामुक्ति का संकल्प लिया है, ताकि उनका शहर नशा से मुक्त रह सके! नशामुक्त समाज की ओर बढ़ते कदम जागरूकता और सकारात्मक बदलाव को दर्शाते हैं।


तो कुछ इस तरह भारत के छोटे शहरों ने नए साल का स्वागत किया- आध्यात्मिकता और स्थायित्व के विचारों के साथ-साथ जश्न का उत्साह भी बरकरार रहा।


आपके शहर में नए साल का जश्न कैसे मनाया गया? अपने गृहनगर में नए साल के स्वागत से जुड़ी कोई खास परंपरा या याद आपके दिल के करीब है?

तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं!






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